Article no. 2 - Motia ko samjhe
Let's understand Cataract...
अपनी बीमारी के बारे में सही जानकारी होना ही आधा इलाज हैा
मोतियाबिंद बीमारी नहीं है | यह उम्र के साथ होने वाला बदलाव है, जैसे सिर के बाल उम्र के साथ सफ़ेद होते जाते हैं उसी तरह आँखों का लेंस उम्र के साथ धुंधला होता जाता है |
मोतियाबिंद के पकने का इंतज़ार ना करें | मोतियाबिंद का एकमात्र इलाज़ आपरेशन है, आज के ज़माने में आपरेशन के बाद आँखों में ही लेंस डाल दिया जाता है ताकि बिना चश्मे के ही साफ़ दिखाई दे |
मोतियाबिंद का आपरेशन दो विधि से हो सकता है; बड़ा चीरा (एस.आई.सी.एस) और सूक्ष्म चीरा (फेको) | दोनों विधि के आपरेशन में करीब बारह अंतर होते हैं |
आँखों में डाले जाने वाले लेंस कई प्रकार के होते हैं| अच्छे लेंसों से दूर और पास बिना चश्मे के दिखाई देता है, आपरेशन के बाद जाला कम आता है, कम रौशनी में भी बढ़िया दिखता है, रंग स्पष्ट दिखाई देते हैं, रात को गाडी चलाने में तकलीफ नहीं होती है और आँखों के परदे का सूर्य से आने वाली पराबैगनी किरणों से बचाव करने की भी शक्ति होती है |
मोतियाबिंद के पकने पर आँखों में काला मोतिया बन सकता है जिसमे रौशनी की नस सूख जाती है और फिर रौशनी आने का कोई इलाज़ सम्भव नहीं है, अधिक पकने पर आँखों में लेंस नहीं पड़ने का भी खतरा होता है।
हमें दो आँखें इसलिए दी गयीं हैं की दोनों मिल कर काम करें, क्योंकि मोतियाबिंद हमेशा दोनों आँखों में होता है, एक आँख के आपरेशन के महीने के अंदर दुसरे आँख का आपरेशन भी करवा लेना चाहिए, नहीं तो अच्छा देखने वाली आँख पर सारा जोर आएगा और वह थकेगी जिससे बनी आँख में अलकस, भारीपन, दर्द, लाली, पानी आना इत्यादि रह सकता है |