Let us understand cataract
अपनी बीमारी के बारे में सही जानकारी होना ही आधा इलाज हैा
सामान्य अवस्था में रौशनी नेत्र में प्रवेश करने के पश्चात पारदर्शी लेंस से होते हुए परदे पर साफ़ चित्र बनाती है जिसकी वजह से व्यक्ति को बिलकुल साफ़ - साफ़ दिखाई देता है।
मोतियाबिंद होने पर लेंस की पारदर्शिता कम हो जाती है, इस वजह से लेंस में पहुंचने के बाद रौशनी छितरा जाती है और परदे पर साफ़ चित्र नहीं बन पाता, यही वजह है की मोतियाबिंदु होने की दशा में व्यक्ति को धुंधला दिखाई देता है।
जितना पुराना मोतियाबिंद होता है, लेंस की पारदर्शिता उतनी ही कम होती जाती है और नज़र भी उतनी ही कमज़ोर हो जाती है।
इसीलिए मोतियाबिंद की सर्जरी में मोतिया वाला लेंस निकाल कर पारदर्शी कृत्रिम लेंस प्रत्यारोपित किया जाता है।
बढ़ती उम्र के साथ नेत्रों में मोतियाबिंद का बनना स्वाभाविक प्रक्रिया है। जिसकी वजह से दिखाई देने में असुविधा होने लगती है।
ऐसा नहीं है कि मोतिया बनने से नेत्रों की रोशनी को नुकसान होता है, परन्तु कम इस लिए दिखता है क्यूंकि मोतिया की परत प्राकृतिक लेंस की पारदर्शिता को घटा देती है।
मोतियाबिंद सर्जरी से ख़त्म हो जाता है वो भी बिना अस्पताल में भर्ती हुए। इसलिए मोतियाबिंद की सर्जरी में देर करने का कोई लाभ नहीं। जब भी मोतिया की वजह से नजर कमजोर होने लगे उसी समय सर्जरी कराएं और पहले जैसी नजर से दुनिया देखें।